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कासगंज के चंदन गुप्ता हत्याकांड में दोषी ठहराए गए 28 आरोपियों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा, प्रत्येक दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार को सुनाया था, जिसमें 28 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था, जबकि दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था।
यह घटना कासगंज में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान हुई थी, जब दंगे भड़क उठे थे। विश्व हिंदू परिषद, एबीवीपी और हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ताओं द्वारा तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया था। यात्रा के दौरान तनाव पैदा हो गया, जिसके बाद पथराव और हिंसा शुरू हो गई। इस दौरान एक गोली चंदन गुप्ता को लगी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इस हत्या के बाद कासगंज में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए थे, और शहर में हालात काबू से बाहर हो गए थे। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं।
एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने “सरकार बनाम सलीम व अन्य” मामले में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी करार दिया। इनमें धारा 147, 148, 149, 341, 336, 307, 504, 506 के तहत आरोप थे। साथ ही, कुछ आरोपियों को राष्ट्रध्वज अपमान निवारण अधिनियम और आयुध अधिनियम के तहत भी दोषी ठहराया गया।
कोर्ट ने आरोपी सलीम के खिलाफ गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने का आदेश भी दिया। सलीम के अदालत में पेश न होने के कारण उसके खिलाफ यह आदेश जारी किया गया। इस फैसले से यह भी साफ हो गया है कि न्यायालय ने इस जघन्य हत्या को गंभीरता से लिया है और सभी दोषियों को सजा दी है।
कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान दो पक्षों के बीच तनाव बढ़ने के बाद पथराव और हिंसा हुई थी। जब यात्रा बड्डूनगर क्षेत्र पहुंची, वहां गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम चल रहा था, तब दोनों पक्षों के बीच झड़प शुरू हो गई। इसके बाद दंगे भड़क गए, जिसमें चंदन गुप्ता की हत्या के साथ ही कई लोग घायल हो गए थे। हिंसा के कारण शहर में हालात बिगड़ गए थे और प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ी थीं।
कासगंज के इस संवेदनशील मामले में दोषियों को सजा मिलना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला न केवल न्याय के पक्ष में है, बल्कि यह समाज में शांति और सौहार्द बढ़ाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। कासगंज के नागरिकों को अब उम्मीद है कि न्यायालय के इस फैसले के बाद शहर में शांति स्थापित होगी और इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकेगा।