उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मिशन शक्ति 5.0 अभियान को सशक्त करने के लिए एक नई पहल शुरू की है। बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) की छात्राओं को प्रशासनिक कार्यों और जिम्मेदारियों से अवगत कराने के लिए एक दिन के लिए अधिकारी नियुक्त करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत, प्रत्येक जिले से 100 और कुल 7500 बेटियों को यह अवसर दिया जाएगा, जिससे उनमें आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का विकास हो सके।
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को प्रशासनिक जिम्मेदारियों का अनुभव प्रदान करना है। चयनित छात्राएं जिलाधिकारी (डीएम), मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ), बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए), खंड विकास अधिकारी, तहसीलदार, और जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) जैसे पदों पर एक दिन के लिए कार्य करेंगी।
कासगंज की टॉपर भूमिका और संभल की छात्रा शालू पहले ही इस योजना के तहत एक दिन की जिलाधिकारी बन चुकी हैं, जिन्होंने अपने कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। इस योजना के तहत उन बालिकाओं को प्राथमिकता दी जाएगी जो अपनी निपुणता के लिए जानी जाती हैं और जिनमें लीडरशिप के गुण प्रकट हो रहे हैं। सभी जाति, वर्ग और श्रेणियों की बालिकाओं को समान अवसर प्रदान किया जाएगा। यह सरकार का प्रयास बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने और प्रशासनिक कार्यों की जमीनी समझ देने का है।
चुनी गई बालिकाएं केवल अधिकारियों की भूमिका नहीं निभाएंगी, बल्कि वे लोगों की समस्याओं की सुनवाई भी करेंगी और उनके निस्तारण में सक्रिय भागीदारी निभाएंगी। यह अनुभव उन्हें निर्णय लेने की क्षमता और सामर्थ्य को निखारने में मदद करेगा, जो उनके भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। मुख्यमंत्री के आदेश पर, शालू और भूमिका ने एक दिन के लिए जिलाधिकारी बनकर प्रशासनिक जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। शालू ने मिशन शक्ति की बैठक का संचालन किया और अधिकारियों का परिचय लिया, जबकि भूमिका ने कासगंज तहसील में जनसमस्याओं की सुनवाई की और समाधान के निर्देश दिए।
चित्रकूट स्थित कस्तूरबा गांधी विद्यालय की छात्रा मनोरमा पटेल को भी एक दिन के लिए सांकेतिक रूप से डीआईओएस बनाया गया था। उसने इस दौरान अधिकारियों की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। इसी तरह, केजीबीवी की अन्य छात्राओं को भी एक दिन का अधिकारी बनने का अवसर मिला है।