नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM), दिल्ली चुनावी मैदान में उतरी है। पार्टी ने विवादित चेहरों को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर एक बार फिर राजनीति के गलियारे में हलचल मचाई है। AIMIM ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि शाहरुख पठान का नाम भी चर्चा में है, जो दिल्ली दंगों के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्टल तानने के लिए विवादों में रहे थे।
ताहिर हुसैन, जिन्हें 2020 के दिल्ली दंगों में आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में जेल भेजा गया था, अब AIMIM के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शोएब जामई ने शाहरुख पठान के परिवार से मुलाकात की थी और कहा था कि अगर स्थानीय लोग चाहें तो शाहरुख को भी पार्टी चुनाव में उतारने को तैयार है। इस तरह के विवादित चेहरों को चुनाव में उतारने की AIMIM की रणनीति क्या होगी, इस पर चर्चा तेज हो गई है।
AIMIM की यह रणनीति मुस्लिम राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत करने और एक पैन इंडिया विकल्प के रूप में उभरने की है। पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह उन मुस्लिम नेताओं और उनके परिवारों के साथ खड़ी है, जिनसे अन्य सेक्यूलर पार्टियां किनारा कर चुकी हैं। दिल्ली में मुस्लिम मतदाता पहले कांग्रेस के साथ थे, लेकिन अब उनकी निष्ठा आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ है। ऐसे में AIMIM के लिए ताहिर हुसैन जैसे विवादित चेहरों को उम्मीदवार बनाना महत्वपूर्ण हो गया है, ताकि वह मुस्लिम समाज में अपनी पहचान बना सके।
ओवैसी ने ताहिर हुसैन के समर्थन में रैली की और कहा कि वोट देकर आप सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लिए एक मजबूत नेतृत्व को मजबूत कर रहे हैं। ओवैसी का यह बयान यह दर्शाता है कि AIMIM का उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करना है, जो पिछले चुनावों में आम आदमी पार्टी के पक्ष में रहा है।
दिल्ली में मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली की कुल आबादी में लगभग 12 प्रतिशत मुस्लिम हैं, जो कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार तय करने में निर्णायक साबित हो सकते हैं। AIMIM की नजर उन सीटों पर है, जहां मुस्लिम समुदाय की संख्या अधिक है, जैसे सीलमपुर, बाबरपुर, बल्लीमारान, चांदनी चौक, ओखला, और जंगपुरा। यदि AIMIM मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रहती है, तो इसका सीधा नुकसान आम आदमी पार्टी को हो सकता है, जो इन मतों पर निर्भर करती है।
यह पहला मौका है जब AIMIM दिल्ली चुनावों में अपनी पूरी ताकत लगाने की तैयारी कर रही है। इससे पहले, 2013 से लेकर 2020 तक के चुनावों में पार्टी ने दिल्ली के चुनावी मैदान से दूरी बनाए रखी थी, लेकिन अब वह इस मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार है। अगर AIMIM इस चुनावी रणनीति में सफल होती है, तो इसका असर दिल्ली की सियासत पर गहरा पड़ सकता है।