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संभल में पराली जलाने की समस्या पर कृषि विभाग की सख्त कार्रवाई

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यूपी के संभल जिले में पराली जलाने की बढ़ती समस्या को रोकने के लिए कृषि विभाग ने अब कड़ा रुख अपनाया है। प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है, जिससे किसानों में चेतावनी का प्रभाव पड़ेगा। सरकार द्वारा बार-बार दी गई चेतावनियों के बावजूद कई किसान नियमों की अवहेलना करते हुए पराली जलाते नजर आए हैं। अब ऐसे किसानों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें ‘किसान सम्मान निधि’ और ‘राशन कार्ड’ जैसी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित करना शामिल है।

हाल ही में पराली जलाने के 84 मामले सामने आने के बाद, कृषि विभाग ने दोषी किसानों पर ‘2 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना’ लगाया है, जिसमें से ‘1 लाख 62 हजार रुपये की वसूली’ पहले ही की जा चुकी है। इसके अलावा, इन किसानों के ‘तीन हार्वेस्टर’ भी जब्त कर लिए गए हैं। पराली जलाने के कारण वातावरण में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।

कृषि विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जो किसान पराली जलाने के दोषी पाए जाएंगे, उन्हें ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही, इन किसानों के ‘राशन कार्ड’ भी निरस्त किए जाएंगे, जिससे वे सरकारी राशन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। यह कदम उन किसानों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा, जो सरकारी सहायता पर निर्भर रहते हैं।

किसानों के खिलाफ सख्ती यहीं नहीं रुकेगी। कृषि विभाग ने यह भी ऐलान किया है कि दोषी पाए जाने पर किसानों के ‘कृषि यंत्रों’ को भी जब्त किया जाएगा। इस तरह की सख्त कार्रवाई का उद्देश्य पराली जलाने के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश देना है, ताकि अन्य किसान भी नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित हों।

सरकार और पर्यावरण विभाग द्वारा पराली जलाने के नुकसान को लेकर कई जागरूकता अभियान चलाए गए हैं, लेकिन कई किसान नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल कृषि क्षेत्र के लिए, बल्कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है। पराली जलाने से उत्पन्न धुआं कई बीमारियों का कारण बनता है, जिनमें श्वास संबंधी समस्याएं प्रमुख हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए इस सख्त कदम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पराली जलाने से रोकना है। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जब तक कड़े कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी। इसके साथ ही, वे किसानों को वैकल्पिक उपायों के बारे में जागरूक करने का भी प्रयास कर रहे हैं, जैसे पराली का उपयोग खाद बनाने में किया जा सकता है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा, बल्कि खेती को भी लाभ मिलेगा।

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