नई दिल्ली: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, पूर्वांचल के मतदाताओं को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच एक तीव्र सियासी घमासान मचा हुआ है। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि पार्टी केंद्र सरकार के जरिए दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा रही है। इन आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को मैदान में उतारा है।
अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दावा किया था कि दिल्ली में पूर्वांचल समुदाय के लगभग 40 लाख मतदाता हैं, जिनका दिल्ली विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर इन मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए हैं। इसके बाद भाजपा ने सम्राट चौधरी को आगे किया, जिन्होंने केजरीवाल के आरोपों को झूठा और भ्रामक बताते हुए खारिज किया।
सम्राट चौधरी ने कहा, “केजरीवाल पूर्वांचल के मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। वे इन लोगों को बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं के साथ जोड़ने की गलत कोशिश कर रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है।” चौधरी ने कहा कि आम आदमी पार्टी की तरफ से की जा रही ऐसी बयानबाजी समाज में गलत संदेश फैला रही है।
सम्राट चौधरी ने कहा कि केजरीवाल का यह आरोप केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान केजरीवाल ने यूपी और बिहार के लोगों से दिल्ली छोड़ने की अपील की थी, जिससे दिल्ली में अफरा-तफरी मच गई थी और कई लोग असमय जान गंवा बैठे। उन्होंने पूर्वांचल के लोगों से सावधान रहने की अपील की और कहा कि वे ऐसे नेताओं से बचें, जो उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
चौधरी ने बिहार का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार में जन्मे और पले-बढ़े हैं, और आज वे हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा, “केजरीवाल खुद बिहार से जुड़ी हुई शख्सियतों का सम्मान नहीं करते, जबकि भाजपा के नेतृत्व में हर क्षेत्र और राज्य को समान सम्मान मिलता है।”
दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, खासकर दिल्ली की 17 से 20 विधानसभा सीटों पर जहां इन मतदाताओं का प्रभाव देखा जा सकता है। यही कारण है कि सभी प्रमुख राजनीतिक दल उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। भाजपा ने इस वोट बैंक को लुभाने के लिए अपने NDA सहयोगियों, जैसे कि जेडीयू और एलजेपी, को कुछ सीटें देने की योजना बनाई है।
दिल्ली के आगामी चुनावों में पूर्वांचल के मतदाताओं को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता और आरोप-प्रत्यारोप जारी रहेंगे, जो आगामी चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभाएंगे।