उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुंभ मेले में खोने और फिर मिलने की पुरानी धारणा को तोड़ने का संकल्प लिया है। इस बार, कुंभ मेले में हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च तकनीक से युक्त खोया-पाया पंजीकरण प्रणाली की शुरुआत की जा रही है। इस पहल का उद्देश्य यह है कि कोई भी तीर्थयात्री अपनों से बिछड़ न सके, और यदि ऐसा हो भी जाए, तो वह जल्द से जल्द अपने परिवार से मिल सके।
प्रयागराज मेला प्राधिकरण और पुलिस विभाग ने मिलकर इस नई प्रणाली को तैयार किया है, जो सुरक्षा, जिम्मेदारी और तकनीक का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगी। यह व्यवस्था महाकुंभ मेले को न केवल सुरक्षित बनाएगी, बल्कि तीर्थयात्रियों को भीड़ में खोने के डर से मुक्त करेगी।
फिल्मों से हटकर वास्तविकता
भारतीय सिनेमा में कुंभ मेले की भीड़ से बिछड़ने वाली कहानियां एक स्थायी कथानक रही हैं। चाहे वह 1943 की फिल्म ‘तकदीर’ हो या 70 के दशक की ‘मेला’, इनमें बिछड़ने वाले परिवारों की कहानी ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी है। लेकिन अब, इस नई तकनीक की मदद से महाकुंभ में खोने का यह फिल्मी दृश्य शायद ही देखने को मिलेगा।
डिजिटल पंजीकरण की प्रक्रिया
खोया-पाया केंद्रों में खोए हुए व्यक्तियों का डिजिटल पंजीकरण किया जाएगा। इससे परिवार और मित्र आसानी से अपने प्रियजनों को खोज सकेंगे। केंद्रों पर खोए हुए व्यक्तियों के बारे में उद्घोषणा भी की जाएगी। महाकुंभ-2025 में ऐसी डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जो तकनीक का सहारा लेकर खोए हुए व्यक्तियों को उनके परिजनों से मिलाने का कार्य करेंगी।
यदि कोई व्यक्ति 12 घंटे के भीतर खोए हुए सदस्य का दावा नहीं करता है, तो पुलिस उन्हें सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक खोया हुआ महसूस न करे।
बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान
सरकार ने विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। किसी भी वयस्क को बच्चे या महिला का दावा करने से पहले उनकी पहचान की पुष्टि करनी होगी। यदि कोई संदेह होता है, तो तुरंत पुलिस को सूचित किया जाएगा, ताकि बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित हाथों में सौंपा जा सके।
नई कहानी की शुरुआत
इस पहल ने कुंभ मेले में बिछड़ने और मिलने की पुरानी फिल्मी कहानियों को पूरी तरह बदलने का काम किया है। अब, सरकार की जिम्मेदारी होगी कि हर खोए हुए व्यक्ति की पहचान और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इससे कुंभ मेले का अनुभव और भी सुखद और सुरक्षित बन जाएगा।