नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने आज ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है, जिससे पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने पहले ही ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी। इस विधेयक का उद्देश्य पूरे देश में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ कराने का है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में समन्वय और खर्चों में कमी आ सकेगी।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब इस विधेयक पर एक आम सहमति बनाने के लिए कदम उठा रही है और इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज सकती है। इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य संबंधित पक्षों को भी शामिल किया जाएगा। इसमें संवैधानिक विशेषज्ञों और सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों को भी शामिल किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस साल सितंबर में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया था। सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ कराने के लिए चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वयन की मंजूरी दी थी।
सूत्रों का कहना है कि जेपीसी सभी राजनीतिक दलों से इस बिल पर चर्चा करेगी और उसके बाद आम जनता से भी राय ली जाएगी। इस दौरान विधेयक के प्रमुख पहलुओं, इसके संभावित लाभों और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी चुनावी प्रबंधन और कार्यप्रणाली पर विचार विमर्श किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों से बातचीत की जिम्मेदारी केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और किरेन रिजिजू को सौंपने का निर्णय लिया है। इन नेताओं को विपक्षी दलों से संपर्क साधकर उन्हें इस विधेयक के बारे में अवगत कराने और उनकी राय लेने का कार्य सौंपा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे, जिनमें संवैधानिक संशोधन भी शामिल हो सकते हैं। केंद्र सरकार को इन विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। हालांकि, एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में साधारण बहुमत है, लेकिन दो-तिहाई बहुमत हासिल करने में सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि यह विधेयक संसद में पारित होता है, तो यह भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा, जिससे चुनावी प्रक्रिया में लागत की कमी आएगी और चुनावों की एकरूपता सुनिश्चित होगी।