नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने संसद भवन के द्वार पर धरना-प्रदर्शन आयोजित करने पर कड़ा प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने कहा कि संसद भवन के परिसर में किसी भी प्रकार के प्रदर्शन से लोकतंत्र की गरिमा और संसद की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है। इस संदर्भ में उन्होंने सांसदों और राजनीतिक दलों से अपील की कि वे संसद की कार्यवाही को प्रभावित करने वाली किसी भी गतिविधि से बचें।
श्री ओम बिरला ने अपने बयान में कहा, “संसद भवन के द्वार पर धरना-प्रदर्शन करना अस्वीकार्य है। अगर कोई सांसद या दल ऐसा करता है, तो इससे उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार के प्रदर्शन संसद की कार्यवाही को बाधित करते हैं और लोकतंत्र की सच्ची भावना को भी कमजोर करते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा, “सभी सांसदों का कर्तव्य है कि वे संसद की गरिमा बनाए रखें। संसद लोकतंत्र का मंदिर है, और इसे हर सदस्य को आदर देना चाहिए।” उन्होंने कहा कि संसद भवन के अंदर या उसके आसपास प्रदर्शन से किसी भी प्रकार की असहमति को हल नहीं किया जा सकता है और यह लोकतंत्र के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है।
ओम बिरला ने बढ़ती हुई संसद भवन के बाहर प्रदर्शन की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “इस प्रकार के कृत्य न केवल संसद की कार्यवाही को प्रभावित करते हैं, बल्कि यह देश की छवि को भी धूमिल करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर सांसदों या दलों ने इस प्रकार के प्रदर्शन जारी रखे, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें उनका नामांकन भी रद्द किया जा सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष का यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में संसद भवन के बाहर कुछ सांसदों और राजनीतिक दलों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया था। ओम बिरला ने संसद भवन और उसके परिसर को इन गतिविधियों से मुक्त रखने का आह्वान किया और उम्मीद जताई कि इस बयान से संसद की कार्यवाही पर असर डालने वाली घटनाओं में कमी आएगी और सांसदों के बीच संसद की गरिमा को बनाए रखने के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।