उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में वाहन मरम्मत के बहाने बुलाए गए एक बाइक मैकेनिक के खिलाफ पुलिसकर्मियों द्वारा की गई कथित ज्यादती और शोषण के मामले में एडीजी के निर्देश पर पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इन पुलिसकर्मियों में मोहम्मदाबाद कोतवाली के तत्कालीन इंस्पेक्टर मनोज भाटी, दरोगा महेंद्र सिंह, सिपाही अंशुमन चाहर, राजन पाल और यशवीर सिंह शामिल हैं।
पिपरगांव निवासी कृष्ण कुमार ने सीओ को शिकायत दी थी कि उनके भाई नंदू को बाइक ठीक कराने के बहाने 18 अगस्त को मोहम्मदाबाद कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक और अन्य पुलिसकर्मियों ने बुलाया। नंदू को अगले दिन नदी किनारे ले जाया गया, जहां पुलिसकर्मियों ने उसे तमंचा पकड़ाकर भागने को कहा। पुलिस ने नंदू को धमकी दी कि यदि वह भागने में असफल रहता है, तो उसे गोली मार दी जाएगी। नंदू भागने को मजबूर हुआ, और पुलिस ने उसका वीडियो बना लिया। बाद में, उसे पकड़कर थाने लाकर उसके खिलाफ धारा 25 के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया।
मामले की जांच तत्कालीन सीओ अरुण कुमार ने की, जिन्हें पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध लगी। वर्तमान सीओ राजेश द्विवेदी ने इस मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों पर रविवार को रिपोर्ट दर्ज की, जिसमें न्यायिक कार्य में गलत साक्ष्य प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में बीएनएस की धारा 229 के तहत कार्रवाई की गई है, जिसके तहत दोषी पुलिसकर्मियों को अधिकतम सात वर्ष की सजा हो सकती है।
1. वाराणसी में थाना प्रभारी लाइन हाजिर
वाराणसी में थाने में फरियादियों से अभद्रता की शिकायत पर पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने कार्रवाई की। उन्होंने दशाश्वमेध थाना प्रभारी प्रमोद पांडेय को लाइन हाजिर कर दिया। यह कार्रवाई रविवार रात एक बैठक के दौरान की गई, जब सीपी को थाने में आम जनता के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की शिकायत मिली थी।