नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि एक समय वह भी था, जब उत्तर प्रदेश में कोई आने को तैयार नहीं था। लेकिन जब से योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की कमान संभाली है, तब से प्रदेश का प्राचीन वैभव पुनर्स्थापित होने लगा है। कानून व्यवस्था, निवेश, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में योगी सरकार ने हर दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
तोमर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 92वें संस्थापक सप्ताह समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ से वह कई बार विभिन्न भूमिकाओं में मिले हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में वह भक्तियोग का मार्ग दिखाते हैं, तो वहीं राजनेता के रूप में कर्मयोग का भी मार्ग बताते हैं। उनकी साधना प्रेरणादायक है और उनकी राजनीति में किए गए कार्यों की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है।
नरेंद्र तोमर ने गोरक्षपीठ के प्रकल्प महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के बारे में कहा कि गोरक्षपीठ एक ऐसी संस्था है, जो भक्तियोग के साथ-साथ कर्मयोग में भी रत है। यह संस्था नागरिकों के जीवन को दिशा देने के साथ ही देशवासियों के जीवन में एक स्थायी बदलाव लाने का कार्य कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद आज 50 से अधिक संस्थाओं का संचालन कर रही है, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।
मुख्य अतिथि ने परिषद के संस्थापक महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ जी की दूरदृष्टि की सराहना करते हुए कहा कि उनके योगदान से आज यह शिक्षा परिषद पूरी पूर्वांचल में प्रतिष्ठित हो चुकी है। उनका योगदान आज भी इस संस्था की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
तोमर ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत की है। पहले भारत को वैश्विक मंचों पर कोई महत्व नहीं मिलता था, लेकिन आज हम गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया के किसी भी मंच पर भारत की अनदेखी करना अब असंभव है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें हम सभी को अपना योगदान देना होगा।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के महत्व पर भी जोर दिया। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में लागू इस नीति ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण दिया है, जिसमें विद्यार्थी अपनी शिक्षा को अपने हिसाब से कस्टमाइज कर सकते हैं। इसके तहत 12 भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा दी जा सकती है, जिससे युवाओं को नवाचार उन्मुख होने के लिए प्रेरित किया जाएगा।