उत्तर प्रदेश राज्य के बुलंदशहर जिले के शिकारपुर में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला अहोई अष्टमी का व्रत धूमधाम से आयोजित किया गया। इस विशेष दिन पर हर मां ने अपनी संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखा।
वीरवार को आयोजित इस व्रत में क्षेत्र की माताओं ने एकत्रित होकर माता अहोई की पूजा-अर्चना की। इस दिन का महत्व धार्मिक आस्था के साथ-साथ मातृत्व के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। माताएं तारा देखने तक निर्जला उपवास रखती हैं, जिससे उनके संतान के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा का विधान है। माता पार्वती को अहोई माता का स्वरूप माना जाता है, और उनके प्रति श्रद्धा भाव से व्रत का आयोजन किया जाता है। माताओं ने इस दिन अपने बच्चों की खुशियों और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की।
अहोई अष्टमी के अवसर पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा-पाठ किया और एक-दूसरे को इस पवित्र पर्व की शुभकामनाएं दीं। व्रत के दौरान, महिलाएं विभिन्न धार्मिक रीतियों का पालन करते हुए संतान के कल्याण के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण करती हैं।
इस प्रकार, अहोई अष्टमी का पर्व मातृत्व की भावना, संतान के प्रति असीम प्रेम और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। माताओं ने मिलकर इस अवसर को और भी विशेष बनाने का प्रयास किया, जिससे समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैल सके।