इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में अब नए खुलासे हो रहे हैं। परिवार न्यायालय में पति-पत्नी की तरफ से दर्ज किए गए बयान से कई राज सामने आए हैं, जिनसे इस मामले की परतें और गहरी होती जा रही हैं। अतुल की पत्नी निकिता ने अदालत में यह जानकारी दी कि उसने जौनपुर में 60 लाख रुपये का मकान खरीदा है, और उसका वेतन का अधिकांश हिस्सा ऋण की अदायगी में चला जाता है, जिसके कारण वह अपने बेटे के पालन-पोषण में दिक्कत महसूस कर रही थी। इसके बाद परिवार न्यायालय ने आदेश दिया था कि अतुल को बेटे के भरण-पोषण के लिए हर महीने 40 हजार रुपये देने होंगे।
न्यायालय के बयान से सामने आए नए तथ्य: परिवार न्यायालय में दिए गए बयान में निकिता ने कहा कि वह गुरुग्राम की एक नामी कंपनी में कंसल्टेंट के तौर पर कार्यरत है और उसका मासिक वेतन 78,845 रुपये है। इसके बावजूद, निकिता ने यह दावा किया कि वह बच्चे के भरण-पोषण में सक्षम नहीं है क्योंकि वह जौनपुर में खरीदी गई संपत्ति के लिए हर महीने 49 हजार रुपये की किश्त चुकाती है, और 19,310 रुपये की एक और किश्त भी जाती है। इस कारण उसके पास बच्चे के खर्चे के लिए पर्याप्त धन नहीं बचता है।
इस पर, परिवार न्यायालय की जज रीता कौशिक ने आदेश दिया कि अतुल को अपने बेटे के भरण-पोषण के लिए 40 हजार रुपये प्रति माह देने होंगे। यह आदेश अतुल के लिए मानसिक तनाव का कारण बना। अतुल का कहना था कि इतनी राशि एक तीन साल के बच्चे के लिए कैसे खर्च हो सकती है, और उसके द्वारा दिए गए पैसे के बावजूद निकिता उसे अपने बच्चे से मिलने या बात करने की अनुमति नहीं देती है।
इस मामले में अब एक नया मोड़ आया, जब बंगलूरू पुलिस ने निकिता की मां और भाई की गिरफ्तारी की। बंगलूरू पुलिस ने यह गिरफ्तारी फिल्मी स्टाइल में की, जहां दो पुलिसकर्मी एक दिन पहले डॉक्टर और नर्स बनकर होटल में ठहरे। वे रातभर निकिता की मां और भाई पर नजर बनाए रहे और फिर सुबह होते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
बंगलूरू पुलिस ने 13 दिसंबर को जौनपुर स्थित आरोपियों के घर पर नोटिस चस्पा किया था और उसी दिन शाम को उनके लोकेशन का पता चला। इसके बाद, पुलिस टीम ने होटल में आकर आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखी। अगले दिन सुबह आठ बजे के करीब, पुलिसकर्मियों ने आरोपियों से लंबी बातचीत की और फिर उन्हें कैब बुक कराकर वाराणसी एयरपोर्ट की ओर रवाना कर दिया।
बंगलूरू पुलिस ने इस गिरफ्तारी के ऑपरेशन को इतना गोपनीय रखा कि स्थानीय पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लगी। डीसीपी अभिषेक भारती ने बताया कि इस मामले में बंगलूरू पुलिस ने स्थानीय पुलिस से कोई संपर्क नहीं किया और न ही गिरफ्तारी संबंधी कोई जानकारी साझा की।