नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि देश को ‘वन नेशन, वन एजुकेशन’ और ‘वन नेशन, वन हेल्थकेयर सिस्टम’ की जरूरत है, न कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की प्राथमिकताएं गलत हैं और यह मुद्दा जनता की असली जरूरतों से ध्यान हटाने की कोशिश है।
अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी के आधिकारिक बयान में कहा कि अगर सरकार पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का दावा कर रही है, तो उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि जिन राज्यों में अभी हाल ही में चुनाव हुए हैं, जैसे महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, और हरियाणा, उनका क्या होगा। साथ ही, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जिनके चुनाव का कार्यकाल अभी बाकी है, उनके चुनाव एक साथ कैसे कराए जाएंगे?
केजरीवाल ने सवाल उठाया कि यदि सरकार का दावा है कि एक साथ चुनाव कराने से खर्चे में कमी आएगी, तो यह सवाल किया कि क्या एक साथ चुनाव कराने से वोटरों की संख्या कम हो जाएगी? क्या ईवीएम की संख्या घट जाएगी? उन्होंने कहा, “अगर चुनाव अलग-अलग समय पर भी होते हैं, तो उसमें भी उतने ही वोटर भाग लेंगे, जितने एक साथ चुनाव में लेंगे। तो खर्चे की बात कहां से आई?”
उन्होंने यह भी कहा कि यह दावा कि एक साथ चुनाव कराने से आचार संहिता के दौरान होने वाली परेशानी कम होगी, भी अप्रासंगिक है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी राज्य का चुनाव होता है, तो वहां भी उतनी ही अवधि के लिए आचार संहिता लागू होती है, जितनी अवधि के लिए देशभर में चुनाव के दौरान लागू होती है।
आप के बयान में यह भी कहा गया कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मुद्दा सरकार की असल प्राथमिकताओं से ध्यान भटकाने के लिए उठाया गया है। पार्टी ने यह सुझाव दिया कि भारत में वास्तविक सुधार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में होने चाहिए, जो आम जनता के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के तहत पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ होगा। संसद का शीतकालीन सत्र जारी है, और इस विधेयक को इसी सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
केंद्र सरकार अब इस विधेयक पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है और इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज सकती है, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों से इस पर चर्चा की जाएगी। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसे पहले ही केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। अगर यह विधेयक संसद में पारित होता है, तो यह भारतीय राजनीति के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इससे चुनावी प्रक्रिया में समन्वय बढ़ेगा और खर्चों में कमी आ सकती है।