15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव, रामेश्वरम, तमिलनाडु में जन्मे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती पर आज एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अपना दल एस के जिला कार्यालय युमनापुरम, बुलन्दशहर में आयोजित हुआ, जहां जिला अध्यक्ष राजकुमार भुर्जी ने अपने विचार व्यक्त किए।
राजकुमार भुर्जी ने कहा कि अब्दुल कलाम साहब का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, अगर हम अपने सपनों को पूरा करने की ठान लें, तो उन्हें पूरा करके ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि अब्दुल कलाम का जन्मदिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो उनकी शिक्षा और युवा पीढ़ी के प्रति उनके योगदान को मान्यता देता है।
मानद उपाधियाँ और सम्मान
जिला अध्यक्ष ने आगे बताया कि डॉ. कलाम को लगभग चालीस विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ दी गईं। भारत सरकार ने उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण जैसे सम्मान प्रदान किए, जो उनके इसरो और डीआरडीओ में कार्यों के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए थे। 1997 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया, जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधानों और तकनीकी विकास में योगदान को मान्यता देता है।
अंतरराष्ट्रीय मान्यता
राजकुमार भुर्जी ने यह भी बताया कि स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने 2005 में डॉ. कलाम के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया। इसके अलावा, 2013 में नेशनल स्पेस सोसाइटी ने उन्हें वॉन ब्राउन अवार्ड से सम्मानित किया, जो अंतरिक्ष विज्ञान में उनके कुशल प्रबंधन को मान्यता देता है।
डॉ. कलाम का प्रभाव
डॉ. कलाम को “मिसाइल मैन” और “जनता के राष्ट्रपति” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और उनके विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष राजकुमार भुर्जी ने की, जबकि संचालन जिला महासचिव अब्दुल खालिक अंसारी ने किया। इस अवसर पर कई प्रमुख लोग उपस्थित थे, जिनमें जिला उपाध्यक्ष पुरषोत्तम सैन, महिला मंच की जिला अध्यक्ष खुशी सागर, अल्पसंख्यक मंच के जिला अध्यक्ष हामिद अली सैफी और अन्य शामिल थे।