नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2024 में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।
आम आदमी पार्टी, जो प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में काबिज है, इस बार जनता का आकलन पिछले विधानसभा चुनाव के वादों और कार्यों के आधार पर करेगी। वहीं, भाजपा के लिए दिल्ली की सत्ता की राह आसान नहीं होने वाली है। पिछले आठ विधानसभा चुनाव और तीन मेट्रोपॉलिटन काउंसिल चुनावों के आंकड़े इस बात की कहानी बयान करते हैं कि भाजपा कभी भी 47 प्रतिशत से अधिक मत नहीं प्राप्त कर पाई, जबकि इस आंकड़े को पार करने वाला दल ही दिल्ली की सत्ता में काबिज हुआ है।
भाजपा का दिल्ली में मत प्रतिशत
दिल्ली में भाजपा के लिए सत्ता तक पहुंचने की चुनौती बहुत बड़ी रही है। भाजपा, जो लगातार दिल्ली के विधानसभा चुनावों में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रही है, ने 1993 के बाद कभी भी 47 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल नहीं किया। वर्ष 1993 और 2008 में भाजपा को क्रमशः 42.82 प्रतिशत और 36.34 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन वह सत्ता में वापसी करने में सफल नहीं हो पाई। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि भाजपा को दिल्ली की सत्ता में काबिज होने के लिए मत प्रतिशत में वृद्धि करना होगा।
आम आदमी पार्टी की बढ़ती ताकत
आम आदमी पार्टी, जो 2013 के चुनाव में पहली बार राजनीति में उतरी थी, ने 2015 और 2020 के चुनावों में शानदार जीत हासिल की। 2015 में आप ने 54.34 प्रतिशत और 2020 में 53.57 प्रतिशत वोट प्राप्त कर एकतरफा जीत दर्ज की। वहीं, कांग्रेस का मत प्रतिशत इन चुनावों में 47 प्रतिशत से नीचे गिर चुका था। आम आदमी पार्टी ने इस दौरान दिल्ली में अपना मजबूत आधार बनाया और विकास कार्यों और वादों के आधार पर जनता का विश्वास जीता।
1993 और 2008 के चुनावों का प्रभाव
वर्ष 1993 में, भाजपा को 42.82 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन उस समय जनता दल ने 12.65 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जिससे कांग्रेस के वोट में सेंध लगी थी और भाजपा को फायदा हुआ था। इसके अलावा, वर्ष 2008 में कांग्रेस ने 40.31 प्रतिशत वोट प्राप्त कर सत्ता में वापसी की थी, जबकि भाजपा को 36.34 प्रतिशत वोट ही मिले थे। इन आंकड़ों से यह साबित होता है कि दिल्ली में सत्ता पाने के लिए किसी दल को 47 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
भाजपा का 26 वर्षों से सत्ता से बाहर रहना
भाजपा 26 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है और हर चुनाव में प्रमुख दावेदार होने के बावजूद वह दिल्ली में सत्ता की ओर बढ़ने में असफल रही है। 1993 के बाद भाजपा कभी भी 40 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने में सफल नहीं हो पाई। इस बार भाजपा को दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराने के लिए विशेष मेहनत करनी पड़ेगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा के लिए दिल्ली की सत्ता की राह आसान नहीं है। इसके लिए भाजपा को मत प्रतिशत बढ़ाना होगा, जबकि आम आदमी पार्टी अपने मजबूत आधार और किए गए कार्यों के साथ फिर से जनता का विश्वास जीतने के लिए तैयार है। अब देखना यह है कि कौन सा दल दिल्ली की सत्ता में काबिज होता है और 26 वर्षों से सत्ता से बाहर रही भाजपा क्या इस बार अपने चुनावी पर फॉर्मेंस को सुधार पाती है।