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आगरा में किसानों का गुस्सा फूटा, 15 साल से मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन

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आगरा में कड़ाके की ठंड के बीच किसानों का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ा है। विकास प्राधिकरण के अत्याचार और प्रदेश सरकार की चुप्पी से तंग आकर किसानों ने आगरा इनर रिंग रोड पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इन किसानों की मांग है कि उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा 15 साल से मिलना चाहिए, लेकिन अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सोमवार दोपहर तीन बजे किसानों ने इनर रिंग रोड को जाम कर दिया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ और लाखों लोग परेशान हो गए।

यह घटना उस समय हुई जब किसान अपनी भूमि के मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। कड़ाके की सर्दी में अपनी जमीन का 15 वर्ष बाद भी मुआवजा न मिलने से आक्रोशित किसानों ने सोमवार दोपहर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क इनर रिंग रोड को जाम कर दिया। इसके कारण दोनों एक्सप्रेसवे के यातायात पर साढ़े चार घंटे तक असर पड़ा।

किसानों के इस प्रदर्शन में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए, जिन्होंने हाथों में लाठियां ले कर सड़क पर उतरकर जमकर नारेबाजी की। उन्होंने “मुख्यमंत्री से वार्ता करो” और “जमीन वापस करो” जैसे नारे लगाए। इसके साथ ही, कुछ किसानों ने सड़क पर लेटकर अपना विरोध जताया। आंदोलन के कारण पुलिस और पीएसी की तैनाती की गई थी।

वर्ष 2009-10 में, आगरा विकास प्राधिकरण ने रायपुर, रहनकलां, एत्मादपुर मदरा समेत एक दर्जन गांवों की 444 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की थी, लेकिन किसानों को अब तक एक रुपया भी नहीं दिया गया है। इस मुद्दे पर बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। विधायक भी इस मामले को लेकर सिर्फ “विचार करने” की बात करते रहे, लेकिन किसान अब इंतजार नहीं कर सकते थे।

सोमवार को किसानों के दबाव को देखते हुए प्रशासन ने दोपहर तक मुख्यमंत्री से बातचीत का आश्वासन दिया, लेकिन समय नहीं मिल पाया। इसके बाद, एसडीएम एत्मादपुर संगमलाल गुप्ता और एडीए अधिकारी किसानों से मिलने पहुंचे। किसानों ने मुख्यमंत्री के सचिव संजय प्रसाद से भी वार्ता की, लेकिन जब मुख्यमंत्री का समय नहीं मिला, तो किसानों का गुस्सा और बढ़ गया। किसान नारेबाजी करते हुए कहने लगे, “जब मुख्यमंत्री के पास समय नहीं है, तो हम यहीं हल चलाएंगे, अपनी जमीन वापस मिलने तक हम नहीं जाएंगे।”

किसानों ने दूसरी लेन को भी बंद कर दिया, जिससे लखनऊ एक्सप्रेसवे और नोएडा से आने वाले यातायात में भारी रुकावट आई। हालांकि, किसानों ने एंबुलेंस और सेना के वाहनों को निकलने दिया। इसके बाद पुलिस ने वाहनों को शहर में डायवर्ट करना शुरू कर दिया। शाम छह बजे डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी किसानों से मिलने पहुंचे और डेढ़ घंटे की वार्ता के बाद किसानों को एक लेन खाली करने पर सहमत कर लिया।

डीएम ने बताया कि एडीए ने 14 अगस्त को किसानों को भूमि वापस करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया था, लेकिन इस पर शासन स्तर पर ही निर्णय लिया जा सकता है।

किसानों के इस आंदोलन ने सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी पेश की है, और यह मामला अब प्रदेश सरकार के सामने है कि वह जल्द से जल्द किसानों की मांगों को पूरा करे।

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