संभल के लक्ष्मणगंज में स्थित प्राचीन बावड़ी को लेकर अब एक नया मोड़ सामने आया है। सोमवार को नगर पालिका परिषद की सेनेटरी इंस्पेक्टर प्रियंका सिंह अपनी टीम के साथ बावड़ी स्थल पर पहुंचीं और खोदाई का काम शुरू कर दिया। 10वें दिन भी खोदाई जारी रही, जिसमें एक टीम कुएं की खोज में जुटी रही, जबकि दूसरी टीम गलियारों से मिट्टी निकालने में व्यस्त रही।
इस खोदाई के दौरान, जहां एक ओर कुएं का पता लगाने की कोशिश हो रही थी, वहीं दूसरी मंजिल का एक गेट भी सामने आने लगा। बावड़ी के दोनों गलियारों के बीच सीढ़ियां उतर रही थीं, और 19 पैड़ी के बाद दूसरी मंजिल का गेट दिखाई देने लगा। इसके अलावा, जहां कुआं होने का अनुमान था, वहां के खोदाई से कुएं के चारों ओर के गेट भी पूरी तरह से सामने आ गए हैं। सीढ़ियों के सामने कुएं वाली जगह का गेट भी आर-पार खुल गया है, जिससे बावड़ी की रहस्यमयी संरचना और इसकी भव्यता का पता चलता है।
इस बावड़ी को लेकर प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस और पीएसी का पहरा बढ़ा दिया गया है, ताकि बाहरी लोग बावड़ी परिसर में प्रवेश न कर सकें। साथ ही, पुलिस ने इस स्थान पर अनधिकृत प्रवेश पर सख्ती बरतते हुए किसी भी असामाजिक गतिविधि को रोकने के लिए विशेष निगरानी शुरू कर दी है।
राजा चंद्र विजय सिंह ने इस बावड़ी को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने सोमवार को अपने प्रतिनिधि कौशल किशोर वंदेमातरम् के माध्यम से डीएम राजेंद्र पैंसिया को एक प्रार्थना पत्र सौंपा। इसमें उन्होंने इस प्राचीन बावड़ी को पुरातत्व विभाग या पर्यटन विभाग को सौंपने की मांग की है, ताकि यह ऐतिहासिक धरोहर भविष्य में सुरक्षित रहे और नगरवासियों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सके।
राजा चंद्र विजय सिंह ने इस बावड़ी की ऐतिहासिकता को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में बावड़ी निर्माण की प्रथा बहुत कम थी और चंदौसी के इस क्षेत्र में स्थित यह बावड़ी विशेष महत्व रखती है। उन्होंने दावा किया कि यह बावड़ी और इसके आस-पास की संपत्तियां रियासत सहसपुर बिलारी की थीं, और कई वर्षों से भूमाफिया और असामाजिक तत्वों द्वारा इस संपत्ति की अवैध बिक्री की जा रही थी। इस बावड़ी को बचाने के लिए उन्होंने पुरातत्व विभाग से इसे संरक्षित करने की अपील की है।
इस बावड़ी को लेकर प्रशासनिक और स्थानीय स्तर पर सक्रियता बढ़ने से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही यह प्राचीन धरोहर संरक्षण के तहत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकती है, जिससे न केवल शहरवासियों को एक ऐतिहासिक स्थल का अनुभव मिलेगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के लिए एक गौरव का प्रतीक बनेगा।