दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी रणनीतियों में बदलाव करती नजर आ रही है। भाजपा ने दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। पार्टी की यह नई रणनीति मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है, क्योंकि भाजपा अब किसी गठबंधन के बजाय स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरेगी।
हालांकि, 2020 में भाजपा ने जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के साथ गठबंधन किया था, लेकिन गठबंधन को ज्यादा लाभ नहीं हुआ था। भाजपा ने तब 70 सीटों में से केवल 8 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) ने बहुमत से सरकार बनाई थी। इस बार भाजपा अपनी जमीनी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने का मन बना चुकी है। पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 2020 के गठबंधन से कोई खास फायदा नहीं हुआ था, और इस बार पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुकी है।
BJP के इस निर्णय से दिल्ली में केजरीवाल की राह और भी कठिन हो सकती है, क्योंकि भाजपा ने अपनी रणनीति में सभी सीटों पर अपनी ताकत झोंकने का निर्णय लिया है। वहीं, जेडी(यू) और LJP की भूमिका पर अभी कुछ साफ नहीं है, क्योंकि जेडी(यू) के नेताओं का कहना है कि गठबंधन पर अंतिम निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा।
दिल्ली में भाजपा की बढ़ती ताकत के कारण, केजरीवाल के लिए आगामी चुनाव और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। भाजपा का यह कदम, जो जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं को महत्व देने पर आधारित है, निश्चित ही आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा।
यह देखा जाएगा कि भाजपा अपनी अकेली ताकत से चुनावी मैदान में कितना असर दिखा पाती है और क्या केजरीवाल अपनी रणनीतियों को नए सिरे से तैयार कर पाते हैं।