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उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी स्थित मोहल्ला लक्ष्मणगंज में एक ऐतिहासिक बावड़ी के अस्तित्व को लेकर खोदाई का कार्य नौंवे दिन भी जारी रहा। रविवार को प्रशासन ने खोदाई की प्रक्रिया को तेज करते हुए मौके पर बुलडोजर मंगवाया है। खोदाई में अब तक एक मकान के नीचे बावड़ी की दीवार मिल चुकी है, और प्रशासन अब इस मकान के बारे में मंथन कर रहा है। वहीं, पूरे परिसर की सफाई तेज गति से की जा रही है।
मोहल्ला लक्ष्मणगंज में एक प्राचीन बावड़ी का अस्तित्व पुनः उजागर हो रहा है। शनिवार को नगर पालिका की सेनेटरी इंस्पेक्टर प्रियंका सिंह और पीएसी की टीम ने खोदाई का कार्य शुरू किया। एक टीम को ऊपरी मंजिल के गलियारों से मिट्टी निकालने में लगाया गया, जबकि दूसरी टीम को बावड़ी के सिरा और कुएं की तलाश में खोदाई कार्य में लगाया गया। तीसरी टीम को बावड़ी के दूसरी ओर के सिरे की तलाश में लगाया गया।
ईओ कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि खोदाई के दौरान एक मकान के नीचे बावड़ी की दीवार नजर आई है, जो संभवत: बावड़ी का प्रवेश द्वार हो सकता है। हालांकि, प्रवेश द्वार मकान के कितने अंदर है, यह खोदाई पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगा।
शनिवार को एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) की एक चार सदस्यीय टीम ने बावड़ी का निरीक्षण किया। टीम के सर्किल इंचार्ज विनोद सिंह रावत, राजेश कुमार और मुकेश कुमार ने खोदाई कार्य का जायजा लिया। टीम ने बताया कि अमरोहा जिले में भी इस तरह की बावड़ियां पाई जाती हैं। इसके बाद एएसआई की टीम ने चंदौसी स्थित खंडहरनुमा प्राचीन बांकेबिहारी मंदिर का भी निरीक्षण किया।
खोदाई के दौरान बावड़ी की एक दीवार दिखाई दी, जो शाकिब पुत्र मोहम्मद यूसुफ के मकान के नीचे बनी हुई थी। शाकिब का कहना है कि उनका यह मकान वर्ष 2010 में उनके पिता ने पड़ोसी से खरीदा था। प्रशासन का कहना है कि बावड़ी को अस्तित्व में लाने के लिए इस पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाएगा। शाकिब ने प्रशासन के इस कदम से चिंता जताई है क्योंकि वह अपने परिवार के साथ इस मकान में रहते हैं। शाकिब ने बताया कि वह एक कारपेंटर है, जबकि उसकी मां सिलाई का काम करती हैं।
बावड़ी स्थल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने वहां तीन सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। एक कैमरा कुएं वाली साइड में और दो कैमरे पीछे वाली दीवार पर लगाए गए हैं। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि लोगों की भीड़ से काम प्रभावित न हो। इसके लिए पूरी बावड़ी परिसर में बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है। बैरिकेडिंग से एक ओर के रास्ते को बंद किया गया है और दूसरी ओर सीमेंट की ईटों से आवागमन रोक दिया गया है।
मोहल्ला लक्ष्मणगंज में बावड़ी अब चर्चा का प्रमुख विषय बन चुकी है। यहां तक कि जिले के अलावा आसपास के इलाके के लोग भी इस बावड़ी को देखने आ रहे हैं। दिनभर यहां लोगों की भीड़ रहती है, और प्रशासन ने इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा इंतजाम किए हैं। इसके बावजूद प्रशासन इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण में कोई कोताही नहीं बरत रहा है और पूरी प्रक्रिया को पूरी सतर्कता से आगे बढ़ा रहा है।