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Ayodhya News: राममंदिर में पुजारियों के लिए नए नियम लागू, एंड्रॉइड फोन पर लगी रोक

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अयोध्या: राममंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारियों के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। मंदिर प्रशासन ने पुजारियों के लिए कई कड़े दिशा-निर्देश तय किए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण एंड्रॉइड फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। इसके अलावा, पुजारियों के लिए ड्रेस कोड लागू करने की भी योजना है, जिससे मंदिर के धार्मिक अनुशासन को बनाए रखा जा सके।

वर्तमान में राममंदिर में कुल 14 पुजारी ड्यूटी पर तैनात हैं, जिन्हें दो समूहों में बांटा गया है। एक समूह का काम गर्भगृह में पूजा करना है, जबकि दूसरे समूह के तीन पुजारी गर्भगृह के बाहर पूजा-अर्चना करेंगे। पुजारियों को सात-सात के दो ग्रुप में बांटा गया है और इनकी ड्यूटी दो अलग-अलग पालियों में लगाई जाती है।

राममंदिर में पुजारियों के पहनावे के लिए भी सख्त नियम लागू किए गए हैं। उन्हें पीली चौबंदी, धोती, कुर्ता और सिर पर पीली रंग की पगड़ी पहनने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, भगवा रंग के वस्त्र भी ड्रेस कोड का हिस्सा होंगे। जल्द ही पुजारियों के दूसरे बैच का प्रशिक्षण भी शुरू होने वाला है। रामजन्मभूमि परिसर में कुल 19 मंदिर बन रहे हैं, और ऐसे में पुजारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक सदस्य मेधा पाटकर ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सभी के अंदर राम हैं, तो फिर राम के दर्शन के लिए इतनी पाबंदियां क्यों लगाई जा रही हैं। अयोध्या में मंदिरों का रूप अब होटल जैसा होता जा रहा है, जहां आने के लिए पैसों की आवश्यकता है। वे प्रेस क्लब में आयोजित काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष पर शहादत दिवस समारोह में बोल रही थीं।

मेधा पाटकर ने यह भी कहा कि अयोध्या में विकास के नाम पर गरीबों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जिनकी ज़मीन मंदिरों के निर्माण के लिए गई, उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि आज भी गंगा, यमुना और सरयू जैसी नदियों को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा ने इस अवसर पर कहा कि बेहतर समाज और देश बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जैसा कि शहीद राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह ने किया था। इस पूरे घटनाक्रम में अयोध्या के मंदिरों की बढ़ती व्यावसायिकता और धार्मिक अनुष्ठानों में बढ़ती पाबंदियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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