उत्तर प्रदेश के संभल जिले के मुस्लिम बहुल इलाके में एक 46 साल पुराना बंद मंदिर मिला है, जिसके भीतर रखी भगवान की मूर्तियों और अन्य धार्मिक तत्वों की कार्बन डेटिंग कराने की तैयारी की जा रही है। यह कदम प्रशासन ने उठाया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि मंदिर और उसमें रखी मूर्तियाँ कितनी पुरानी हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को इस संबंध में पत्र भेजकर कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया गया है।
यह मंदिर संभल के खग्गू सराय इलाके में स्थित है, जो जामा मस्जिद से केवल एक किलोमीटर दूर है। स्थानीय प्रशासन ने इस मंदिर में मिले शिवलिंग, हनुमान जी की मूर्ति और नंदी की मूर्तियों की कार्बन डेटिंग कराने का फैसला किया है। मंदिर की कार्बन डेटिंग से यह स्पष्ट हो सकेगा कि मंदिर का इतिहास और इसकी मूर्तियाँ कितनी पुरानी हैं।
जिला प्रशासन ने इस मंदिर की जांच के बाद ASI को पत्र लिखा है और यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या यह मंदिर वास्तव में 46 साल पुराना है या इससे भी ज्यादा पुराना है। इसके अलावा, मंदिर के भीतर मिले एक कुएं की भी जांच की जाएगी, जिसे अमृत कूप कहा जा रहा है।
यह मंदिर 1978 के दंगों के बाद से बंद पड़ा हुआ था। पुलिस और प्रशासन की एक टीम ने बिजली चोरी रोकने के अभियान के दौरान इस मंदिर को खोज निकाला। मंदिर में मिलने के बाद, 15 सितंबर 2023 को यहां विधि-विधान से पूजा आरती की गई। जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया के अनुसार, यह मंदिर कार्तिक महादेव मंदिर है, और यहां एक कुआं भी पाया गया है, जिसे अमृत कूप माना जा रहा है। मंदिर के पुनः खुलने के बाद यहां 24 घंटे सुरक्षा के लिए टीम तैनात की गई है और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
मंदिर के पुजारी महंत आचार्य विनोद शुक्ला ने बताया कि मंदिर फिर से खुलने के बाद श्रद्धालुओं ने यहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी है। मोहित रस्तोगी, एक स्थानीय निवासी, ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने दादा-परदादा से इस मंदिर के बारे में सुना था।
स्थानीय लोगों का दावा है कि 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों और हिंदू परिवारों के विस्थापन के कारण मंदिर बंद पड़ा था। विष्णु शंकर रस्तोगी, नगर हिंदू महासभा के संरक्षक, ने बताया कि 1978 के बाद हिंदू समुदाय इस इलाके से पलायन कर गया था, और तब से यह मंदिर बंद था।
मंदिर के पुनः खुलने के बाद प्रशासन ने सुरक्षा को चाक-चौबंद कर दिया है और मंदिर के आसपास के अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। CO अनुज चौधरी ने बताया कि मंदिर की जानकारी सामने आने के बाद वहां खुदाई की गई और एक कुआं भी मिला है, जिसे पहले ढक दिया गया था। मंदिर के पुनः खुलने के बाद इलाके में धार्मिक गतिविधियां भी बढ़ गई हैं।
स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों से बातचीत में यह जानकारी सामने आई थी कि इस इलाके में पहले हिंदू परिवार रहते थे, जो इस मंदिर में पूजा करते थे। हालांकि, समय के साथ हिंदू परिवारों का यहां से पलायन हुआ और 2012 में आखिरी हिंदू परिवार भी इस इलाके से चला गया था। इसके बाद से मंदिर में पूजा नहीं हो रही थी। अब मंदिर के पुनः खुलने से स्थानीय लोग खुश हैं और यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो चुका है।
संभल में मंदिर मिलने के बाद इस मुद्दे पर सियासी हलचल भी तेज हो गई है। यह मुद्दा अब सियासी चर्चा का विषय बन चुका है और विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
संभल के मंदिर की कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है, और इस प्रक्रिया के माध्यम से यह स्पष्ट हो सकेगा कि यह मंदिर कितने साल पुराना है और यहां रखी मूर्तियों का इतिहास क्या है। यह कदम उत्तर प्रदेश के प्रशासन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा उठाया गया है, ताकि इस मंदिर के इतिहास और इसके सांस्कृतिक महत्व को सही तरीके से जाना जा सके।