ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के गांव अट्टा गुजरान में शनिवार को किसान आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की एक आपातकालीन बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन टिकैत, जय जवान जय किसान, भारतीय किसान यूनियन महात्मा टिकैत, अखिल भारतीय किसान सभा, सिस्टम सुधार संगठन, भारतीय किसान एकता, किसान एकता महासंघ, भारतीय किसान परिषद और भारतीय किसान यूनियन (भानू) समेत कुल 30 किसान संगठनों ने भाग लिया।
बैठक में किसान नेताओं ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए पुलिस की बर्बरता और भय के माहौल को तत्काल समाप्त करने की मांग की। साथ ही, उन्होंने सरकार से जेल में बंद किसानों और किसान नेताओं को बिना शर्त रिहा करने की अपील की और एक सद्भावपूर्ण माहौल बनाने की आवश्यकता जताई ताकि वार्ता और संवाद का रास्ता खुले। किसानों ने कहा कि धरना-प्रदर्शन उनका लोकतांत्रिक अधिकार है और वे इसे पूरी तरह से जारी रखने का संकल्प लेते हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि सभी किसान संगठन एकजुट हैं और किसी भी प्रकार का मनमुटाव या विभाजन नहीं है। बैठक के बाद यह संदेश देने की कोशिश की गई कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले सभी संगठन एकजुट होकर अपना हक हासिल करने के लिए तैयार हैं। इस बीच, किसानों ने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार और प्रशासन की तरफ से सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता, तो मोर्चा एक बार फिर बड़ा कदम उठाने के लिए विवश होगा।
बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि भारतीय किसान यूनियन ने कुछ ऐसे किसान संगठनों का नाम लिया था, जो आंदोलन में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे थे। इन संगठनों को चिह्नित कर लिया गया था, जिसके बाद यह अफवाहें फैलने लगी थीं कि आंदोलन में दो गुट बन गए हैं और आंदोलन खत्म होने के कगार पर है। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बात को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि मोर्चा पहले की तरह एकजुट है और भविष्य में अपनी रणनीतियों को और मजबूत करने की दिशा में काम करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सरकार को किसान आंदोलन के मामलों में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, ताकि किसानों को न्याय मिल सके और वे शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।