Home » उत्तर प्रदेश » Bulandshahr News:स्याना में एसडीएम ने किसानों को किया जागरूक एसडीएम बोले-पराली न जलाएं किसान प्रशासन कर रहा निगरानी

जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा मिलना: उमर अब्दुल्ला के सामने कितनी चुनौतियां?

Facebook
X
WhatsApp
Telegram
35 Views
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। अब यह सवाल उठता है कि क्या केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा मिलना आसान होगा, खासकर जब नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहले ही कहा था कि सरकार बनाने के बाद उनका प्राथमिक लक्ष्य जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाना है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र में राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ-साथ आर्टिकल 370 और 35ए को पुनर्स्थापित करने, पाकिस्तान के साथ बातचीत करने और जेल में बंद कैदियों की रिहाई जैसे कई महत्वपूर्ण वादे शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित केंद्र सरकार के मंत्रियों ने भी राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था।
पहले यह कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन और चुनाव होने के बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। अब जब परिसीमन और चुनाव हो चुके हैं, तो केवल राज्य का दर्जा बहाल करना शेष रह गया है।
उमर अब्दुल्ला की नई सरकार विधानसभा में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव लाएगी। इस प्रस्ताव को विधानसभा से मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा, जहां केंद्र सरकार अपने निर्णय पर विचार करेगी। राज्य के दर्जे के लिए केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करना होगा।
अगर हम कानूनी प्रक्रिया की बात करें, तो इसके लिए संसद में एक कानून पारित कर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करना आवश्यक होगा। संसद से विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद, इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचना जारी होगी, जिसके द्वारा जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त होगा।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद की समस्याएँ भी हैं, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्णय को प्रभावित कर सकती हैं।
राज्य का दर्जा मिलने पर जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य सूची और समवर्ती सूची के सभी मामलों में कानून बनाने का अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही, वित्त विधेयक के लिए उपराज्यपाल या राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग भी राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।
केंद्र शासित प्रदेश में विधायकों की संख्या के 10 प्रतिशत तक मंत्री बनाए जा सकते हैं, जबकि राज्य का दर्जा बहाल होने पर यह संख्या 15 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। इसके अलावा, कैदियों की रिहाई और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अन्य चुनावी वादों को पूरा करने में राज्य सरकार को केंद्र से अधिक अधिकार प्राप्त होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *