Home » उत्तर प्रदेश » BULANDSHAHR BREAKING NEWS: बुलंदशहर धुंध और सफेद कोहरे की चादर में ढका एनसीआर

भारत में है रावण का ननिहाल, जहां नहीं मनता दशहरा, रावण जलाने पर होती है अनहोनी

Facebook
X
WhatsApp
Telegram
39 Views

देशभर में दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जहां रावण का दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। लेकिन उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित बिसरख गांव, जिसे रावण का पैतृक गांव माना जाता है, में यह पर्व नहीं मनाया जाता। यहां न तो रामलीला होती है और न ही रावण का पुतला जलाया जाता है।

बिसरख गांव की मान्यता है कि यह रावण का ननिहाल था। यहां रावण का मंदिर भी है, और इस गांव का नाम पहले “विश्वेशरा” था, जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा। अब यह गांव बिसरख के नाम से जाना जाता है। यह गांव गौतम बुद्ध नगर के सूरजपुर मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बिसरख गांव में गौतम बुध नगर का सबसे पुराना थाना है, जिसे अंग्रेजों के समय में बनाया गया था। इस थाने के पीछे स्थित प्राचीन शिव मंदिर को रावण के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां के बुजुर्गों के अनुसार, इस गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है। माना जाता है कि त्रेता युग में यहां ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ और उन्होंने यहां शिवलिंग की स्थापना की।

बिसरख में दशहरे के दिन उदासी का माहौल रहता है। यहां की मान्यता है कि जो भी यहां कुछ मांगता है, उसकी मुराद पूरी होती है। यही कारण है कि सालभर देशभर से लोग यहां आते हैं। रावण के मंदिर को देखने के लिए लोग आते हैं, कुछ श्रद्धा से और कुछ अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए।

गांववासियों को इस बात का मलाल है कि रावण को केवल एक पापी के रूप में प्रचारित किया जाता है, जबकि वे उसे तेजस्वी, बुद्धिमान, शिवभक्त और क्षत्रिय गुणों से युक्त मानते हैं। महंत रामसाद शास्त्री, जो बिसरख के शिव मंदिर के पुजारी हैं, बताते हैं कि पहले यहां रामलीला का आयोजन होता था, लेकिन दो बार रामलीला के दौरान एक-एक मौत होने के कारण इसे बंद कर दिया गया। तब से गांव में न तो रामलीला होती है और न ही रावण का पुतला जलाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *