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तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद को लेकर हुए विवाद के बाद अब काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने प्रसाद के उत्पादन में नई व्यवस्था लागू की है। इस व्यवस्था के तहत, प्रसाद अब अमूल के सहयोग से बनाया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति से बचा जा सके।
मंदिर प्रशासन ने इस निर्णय के पीछे प्रसाद की शुद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का उद्देश्य बताया है। नए नियमों के अनुसार, बाबा विश्वनाथ को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद का निर्माण ऑर्गेनिक चावल के आटे से किया जाएगा। इसके साथ ही, बिल्लू पत्र का चूर्ण भी मिलाया जाएगा, जो इस प्रसाद की विशेषता बढ़ाएगा।
प्रसाद में उपयोग होने वाला घी स्थानीय दुग्ध उत्पादकों के दूध से बनाया जाएगा, ताकि यह पूर्णत: शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक हो। महाप्रसाद बनाने वाले लोग हिंदू धर्म से संबंधित होंगे, और इसे बनाते समय धार्मिक मान्यताओं का भी ध्यान रखा जाएगा।
प्रसाद उत्पादन के लिए अमूल के एक विशेष प्लांट का चयन किया गया है, जहां एक फूड इंस्पेक्टर की तैनाती भी की जाएगी। इसके अलावा, पूरे प्रक्रिया की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। यह प्रसाद केवल मंदिर परिसर में ही नहीं, बल्कि अमूल के काउंटर पर भी उपलब्ध होगा, जिससे भक्तों को आसानी से मिल सके।
इस नई व्यवस्था के तहत, भक्तों को गुणवत्तापूर्ण और शुद्ध प्रसाद प्रदान किया जाएगा, जिससे न केवल उनकी श्रद्धा बढ़ेगी बल्कि विवाद की संभावनाएं भी कम होंगी। काशी विश्वनाथ मंदिर के इस कदम को भक्तों और स्थानीय निवासियों द्वारा सराहा जा रहा है।