उत्तर प्रदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुलंदशहर में हुई घटना पर कड़ी टिप्पणी की। साथ ही छह साल पहले 17 साल की लड़की के साथ गैंगरेप की हत्या के तीन दोषियों की फांसी की सजा को बिना किसी छूट के 25 साल कारावास में तब्दील कर दिया है। न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि दोषियों के समाज में सुधार और पुनर्वास की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।मामले के तथ्यों के अनुसार दो जनवरी 2018 की शाम अभियुक्त जुल्फिकार अब्बासी, दिलशाद अब्बासी और मालानी उर्फ इजरायल ने मस्ती करने के लिए एक लड़की को उठाने का फैसला किया। उन्होंने पीड़िता को अपनी साइकिल पर अकेले आते देखा और जबरन अपनी गाड़ी में उठा लिया। फिर चलती गाड़ी में ही उसके साथ बारी-बारी से रेप किया। जब लड़की रोने लगी तो उन्होंने उसके ही दुपट्टे से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और उसके बाद उसकी लाश को नाले में फेंक दिया।
मार्च 2021 में बुलंदशहर की पोक्सो अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषसिद्ध पाते हुए फांसी की सज़ा सुनाई। अदालत ने कहा था कि उनके अपराध ने लोगों को डरा दिया था। माता-पिता अपनी लड़कियों को स्कूल भेजने से डरने लगे थे। अदालत ने उन्हें आईपीसी की धारा 364, 376D, 302/34, 201,404 और पाक्सो एक्ट की धारा 5G जी/ 6 के तहत दोषी ठहराया था। उनकी अपीलों और मृत्युदंड की पुष्टि के लिए निचली अदालत के संदर्भ पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने साक्ष्यों का पुनः मूल्यांकन करने के बाद उनकी फांसी की सजा 25 वर्ष कैद में तब्दील कर दी।